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इसरार अहमद का जन्म 26 अप्रैल 1932 को ब्रिटीश भारतीय साम्रा्जया के पूर्वी पंजाब के एक प्रांत हिसार मे हुआ था | उनके पिता ब्रिटीश सरकार मे एक सिविल सेवक थे | जिन्होंने अपने परिवार को हिसार से मौटगोमरीअब साहीवाल मे स्थानांतरीत कर दिया था | एक स्थानीय हाई स्कूल से स्त्रातक होने के बाद अहमद 1950 मे किंग एडवर्ड ...
स्वामी ज्ञानानंद का जन्म 5 दिसंबर 1896 को हुवा था | उनका जन्म आंध्रप्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले के गोरगानुमूदी गांव मे हुवा था | प्राथमीक शिक्षा के बाद उन्हेांने टेलर हाई स्कूल, नरसापूरम मे दाखिला लिया था | उनके पिता राम राजू वैदिक मे रुचि रखते थे | और विव्दानों का पीछा करने थे | पूस्ताकों और शास्त्रको के ...
नवरत्न श्रीनिवास राजाराम भारत आधारित हिंदूत्वा विचारक थै | उनका जन्म 1943 मे मैसूर मे हुआ था | उनके दादा नरत्न् रामराव एक औपनिवेशिक विव्दान और क्षेत्रीय प्रसिध्दी के शाश्वात लेखक थे | राजाराम ने पीएचडी की शिक्षा इंडियाना विश्वाविदयालय से की है | जिसमें केंट युनिवसिटी और लॉकहीड कॉरपोरेशन मे स्टैंस शामिल है | उन्होंने भारत मे एक इंजीनियर ...
पारसी धर्म या 'जरथुस्त्र धर्म' विश्व के अत्यंत प्राचीन धर्मों में से एक है जिसकी स्थापना आर्यों की ईरानी शाखा के एक प्रोफेट जरथुष्ट्र ने की थी। इसके धर्मावलंबियों को पारसी या जोराबियन कहा जाता है। यह धर्म एकेश्वरवादी धर्म है। ये ईश्वर को 'आहुरा माज्दा' कहते हैं। इस धर्म के संस्थापक जरथुस्त्र थे। जरथुस्त्र का जन्म प्राचीन ईरान में ...
नागार्जुन (बौद्धदर्शन) शून्यवाद के प्रतिष्ठापक तथा माध्यमिक मत के पुरस्कारक प्रख्यात बौद्ध आचार्य थे। युवान् च्वाङू के यात्राविवरण से पता चलता है कि ये महाकौशल के अंतर्गत विदर्भ देश (आधुनिक बरार) में उत्पन्न हुए थे। आंध्रभृत्य कुल के किसी शालिवाहन नरेश के राज्यकाल में इनके आविर्भाव का संकेत चीनी ग्रंथों में उपलब्ध होता है। इस नरेश के व्यक्तित्व के विषय ...
दलाईलामा तेनजिन ग्यात्सो अथवा 'दलाई लामा' (जन्म- 6 जुलाई, 1935) तिब्बत के राष्ट्राध्यक्ष और आध्यात्मिक गुरु हैं। वर्ष 1949 में तिब्बत पर चीन के हमले के बाद परमपावन दलाई लामा से कहा गया कि वह पूर्ण राजनीतिक सत्ता अपने हाथ में ले लें और उन्हें दलाई लामा का पद दे दिया गया। चीन यात्रा पर शांति समझौता व तिब्बत से ...
गुरु घासीदास भारत के छत्तीसगढ़ राज्य की संत परंपरा में सर्वोपरि हैं। बाल्याकाल से ही घासीदास के हृदय में वैराग्य का भाव प्रस्फुटित हो चुका था। समाज में व्याप्त पशुबलि तथा अन्य कुप्रथाओं का ये बचपन से ही विरोध करते रहे। समाज को नई दिशा प्रदान करने में इन्होंने अतुलनीय योगदान दिया था। सत्य से साक्षात्कार करना ही गुरु घासीदास ...
बसव (जन्म- 1134; मृत्यु- 1196) 12वीं शताब्दी के धार्मिक सुधारक, उपदेशक, धर्म मीमांसक और चालुक्य राजा बिज्जला प्रथम के राजसी कोषागार के प्रबंधक थे। बसव हिंदू वीरशैव (लिंगायत) मत के पवित्र ग्रंथों में से एक, बसव पुराण के रचयिता हैं। परंपरा के अनुसार, वह वीरशैव के वास्तविक संस्थापक थे, परंतु चालुक्य अभिलेखों से पता चलता है कि उन्होंने वास्तव में ...
स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती भारत के शिक्षाविद, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा आर्यसमाज के संन्यासी थे जिन्होंने स्वामी दयानन्द सरस्वती की शिक्षाओं का प्रसार किया। वे भारत के उन महान राष्ट्रभक्त संन्यासियों में अग्रणी थे, जिन्होंने अपना जीवन स्वाधीनता, स्वराज्य, शिक्षा तथा वैदिक धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर दिया था। ...
धार्मिक कट्टरता के वातावरण में उदित गुरु नानक (Guru Nanak) ने धर्म को उदारता की एक नई परिभाषा दी। उन्होंने अपने सिध्दान्तों के प्रसार हेतु एक संन्यासी की तरह घर का त्याग कर दिया और लोगों को सत्य और प्रेम का पाठ पढ़ाना आरंभ कर दिया। उन्होंने जगह-जगह घूमकर तत्कालीन अंधविश्वासों, पाखन्डों आदि का जमकर विरोध किया। ...
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